अध्याय 3 हमें संसद क्यों चाहिए?
teacher diary pdf in hindi😊 इस अध्याय से क्या क्या सीखेंगे बच्चे लिखे -
इस अध्याय में हम निर्णय प्रक्रिया में सहभागिता और लोकतांत्रिक सरकार के लिए नागरिकों की सहमति के महत्त्व जैसे विचारों के आपसी संबंधों को समझने की कोशिश करेंगे।यही वे तत्त्व हैं जो सम्मिलित रूप से भारत में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था का निर्माण करते हैं। इस बात की सबसे अच्छी अभिव्यक्ति संसद के रूप में मिलती है। इस अध्याय में हम यह देखेंगे कि किस तरह हमारी संसद देश के नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा लेने और सरकार पर अंकुश रखने में मदद देती है। इसी आधार पर संसद भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रतीक और संविधान का केंद्रीय तत्त्व है।
- इस अध्याय में हम निर्णय प्रक्रिया में सहभागिता और लोकतांत्रिक सरकार के लिए नागरिकों की सहमति के महत्त्व जैसे विचारों के आपसी संबंधों को समझने की कोशिश करेंगे।
- इस अध्याय में विद्यार्थी ससंद और विधायक चुनाव प्रक्रिया को समझ सकते है ।
- इस अध्याय में हम यह देखेंगे कि किस तरह हमारी संसद देश के नागरिकों को निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा लेने और सरकार पर अंकुश रखने में मदद देती है।
- छात्र सत्रहवीं लोक सभा के चुनाव का परिणाम (2019) राजनीतिक दल निर्वाचित सांसदों की संख्या के बारे में जान पाएंगे । लोक सभा में किस राज्य के सांसदों की संख्या सबसे कम है?लोक सभा में किस राज्य के सांसद सबसे अधिक हैं? ये जानकारी प्राप्त करेंगे ।
teacher diary pdf in hindi लोगों को फैसला क्यों लेना चाहिए?
जैसा कि हम जानते हैं, भारत 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ। इस आज़ादी के लिए पूरे देश की जनता ने एक लंबा और मश्किल संघर्ष चलाया था। इस संघर्ष में समाज के बहुत सारे तबकों की हिस्सेदारी थी। तरह-तरह की पृष्ठभूमि के लोगों ने इसमें भाग लिया। वे स्वतंत्रता, समानता तथा निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदारी के विचारों से प्रेरित थे। औपनिवेशिक शासन के तहत लोग ब्रिटिश सरकार से भयभीत रहते थे। वे सरकार के बहुत सारे फ़ैसलों से असहमत थे। लेकिन अगर वे इन फ़ैसलों की आलोचना करते तो उन्हें भारी खतरों का सामना करना पड़ता था। स्वतंत्रता आंदोलन ने यह स्थिति बदल डाली। राष्ट्रवादी खुलेआम ब्रिटिश सरकार की आलोचना करने लगे और अपनी माँगें पेश करने लगे। 1885 में ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने माँग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने एवं प्रश्न पूछने का अधिकार मिलना चाहिए। 1909 में बने गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था को मंजूरी दे दी। हालाँकि ब्रिटिश सरकार के अंतर्गत बनाई गई ये शुरुआती विधायिकाएँ राष्ट्रवादियों के बढ़ते जा रहे दबाव के कारण ही बनी थीं, लेकिन इनमें भी सभी वयस्कों को न तो वोट डालने का अधिकार दिया गया था और न ही आम लोग निर्णय प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते थे।जैसा कि आपने पहले अध्याय में पढ़ा था, औपनिवेशिक शासन के अनुभव और स्वतंत्रता संघर्ष में तरह-तरह के लोगों की हिस्सेदारी के आधार पर राष्ट्रवादियों को विश्वास हो गया था कि स्वतंत्र भारत में सभी लोग अपने जीवन को प्रभावित करने वाले फ़ैसलों में हिस्सा लेने की क्षमता रखते हैं। स्वतंत्रता मिलने पर हम एक स्वतंत्र देश के नागरिक बनने वाले थे। लेकिन इसका यह मतलब नहीं था कि सरकार जो चाहे कर सकती थी। इसका
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- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्यों मिलना चाहिए, इसके पक्ष में एक कारण बताइए।
- संघर्ष के सपनों और आकांक्षाओं ने स्वतंत्र भारत के संविधान में ठोस रूप ग्रहण किया। इस संविधान ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांत को अपनाया। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का मतलब है कि देश के सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार है।
- क्लास मॉनीटर का चुनाव शिक्षक द्वारा किया जाता है या विद्यार्थियों द्वारा - आपकी राय में इस बात से कोई फर्क पड़ता है या नहीं? चर्चा कीजिए।
लोग और उनके प्रतिनिधि
सहमति का विचार लोकतंत्र का प्रस्थानबिंदु होता है। सहमति का मतलब है चाह, स्वीकृति और लोगों की हिस्सेदारी। लोगों का निर्णय ही लोकतांत्रिक सरकार का गठन करता है और उसके कामकाज के बारे में फ़ैसला देता है। इस तरह के लोकतंत्र के पीछे मूल सोच यह होती है कि व्यक्ति या नागरिक ही सबसे महत्त्वपूर्ण है और सैद्धांतिक स्तर पर सरकार एवं अन्य सार्वजनिक संस्थानों में इन नागरिकों की आस्था होनी चाहिए।
व्यक्ति सरकार को अपनी मंजूरी कैसे देता है? जैसा कि आपने पढ़ा है, मंजूरी देने का एक तरीका चुनाव है। लोग संसद के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। इन्हीं निर्वाचित प्रतिनिधियों में से एक समूह सरकार बनाता है। जनता द्वारा चुने गए सभी प्रतिनिधियों के इस समूह को ही संसद कहा जाता है। यह संसद सरकार को नियंत्रित करती है और उसका मार्गदर्शन करती है। इस लिहाज़ से अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से लोग ही सरकार बनाते हैं और उस पर नियंत्रण रखते हैं।राज्य सभा मुख्य रूप से देश के राज्यों की प्रतिनिधि के रूप में काम करती है। राज्य सभा भी कोई कानून बनाने का प्रस्ताव पेश कर सकती है। किसी विधेयक को कानून के रूप में लागू करने के लिए यह ज़रूरी है कि उसे राज्य सभा की भी मंजूरी मिल चुकी हो। इस प्रकार राज्य सभा की भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। संसद का यह सदन लोक सभा द्वारा पारित किए गए कानूनों की समीक्षा करता है और अगर ज़रूरत हुई तो उसमें संशोधन करता है। राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य करते हैं।
- राज्य सभा में 233 निर्वाचित सदस्य होते हैं
- 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं।
- सरकार को नियंत्रित करना, मार्गदर्शन देना
जब संसद का सत्र चल रहा होता है तो उसमें सबसे पहले प्रश्नकाल होता है। प्रश्नकाल एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है। इसके माध्यम से सांसद सरकार के कामकाज के बारे में जानकारियाँ हासिल करते हैं। इसके ज़रिए संसद कार्यपालिका को नियंत्रित करती है। सवालों के माध्यम से सरकार को उसकी खामियों के प्रति आगाह किया जाता है। इस तरह सरकार को भी जनता के प्रतिनिधियों यानी सांसदों के ज़रिए जनता की राय जानने का मौका मिलता है। सरकार से सवाल पूछना किसी भी सांसद की बहुत महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। लोकतंत्र के स्वस्थ संचालन में विपक्षी दल एक अहम भूमिका अदा करते हैं। वे सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की कमियों को सामने लाते हैं और अपनी नीतियों के लिए जनसमर्थन जुटाते हैं।
👉कक्षा 8 वी विषय समाजिक विज्ञान अध्याय -04 शिक्षक डायरी
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- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्यों मिलना चाहिए, इसके पक्ष में एक कारण बताइए।
- संघर्ष के सपनों और आकांक्षाओं ने स्वतंत्र भारत के संविधान में ठोस रूप ग्रहण किया। इस संविधान ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांत को अपनाया। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का मतलब है कि देश के सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार है।
- क्लास मॉनीटर का चुनाव शिक्षक द्वारा किया जाता है या विद्यार्थियों द्वारा - आपकी राय में इस बात से कोई फर्क पड़ता है या नहीं? चर्चा कीजिए।
सहमति का विचार लोकतंत्र का प्रस्थानबिंदु होता है। सहमति का मतलब है चाह, स्वीकृति और लोगों की हिस्सेदारी। लोगों का निर्णय ही लोकतांत्रिक सरकार का गठन करता है और उसके कामकाज के बारे में फ़ैसला देता है। इस तरह के लोकतंत्र के पीछे मूल सोच यह होती है कि व्यक्ति या नागरिक ही सबसे महत्त्वपूर्ण है और सैद्धांतिक स्तर पर सरकार एवं अन्य सार्वजनिक संस्थानों में इन नागरिकों की आस्था होनी चाहिए।
व्यक्ति सरकार को अपनी मंजूरी कैसे देता है?
राज्य सभा मुख्य रूप से देश के राज्यों की प्रतिनिधि के रूप में काम करती है। राज्य सभा भी कोई कानून बनाने का प्रस्ताव पेश कर सकती है। किसी विधेयक को कानून के रूप में लागू करने के लिए यह ज़रूरी है कि उसे राज्य सभा की भी मंजूरी मिल चुकी हो। इस प्रकार राज्य सभा की भी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। संसद का यह सदन लोक सभा द्वारा पारित किए गए कानूनों की समीक्षा करता है और अगर ज़रूरत हुई तो उसमें संशोधन करता है। राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य करते हैं।
- राज्य सभा में 233 निर्वाचित सदस्य होते हैं
- 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं।
- सरकार को नियंत्रित करना, मार्गदर्शन देना
जब संसद का सत्र चल रहा होता है तो उसमें सबसे पहले प्रश्नकाल होता है। प्रश्नकाल एक महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है। इसके माध्यम से सांसद सरकार के कामकाज के बारे में जानकारियाँ हासिल करते हैं। इसके ज़रिए संसद कार्यपालिका को नियंत्रित करती है। सवालों के माध्यम से सरकार को उसकी खामियों के प्रति आगाह किया जाता है। इस तरह सरकार को भी जनता के प्रतिनिधियों यानी सांसदों के ज़रिए जनता की राय जानने का मौका मिलता है। सरकार से सवाल पूछना किसी भी सांसद की बहुत महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। लोकतंत्र के स्वस्थ संचालन में विपक्षी दल एक अहम भूमिका अदा करते हैं। वे सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों की कमियों को सामने लाते हैं और अपनी नीतियों के लिए जनसमर्थन जुटाते हैं।
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