शिक्षक डायरी लिखने का तरीका |teacher diary in hindi
कक्षा नवी एवं कक्षा 10वीं विषय गणित के लिए शिक्षक डायरी कैसे तैयार करेंगे इस संबंध में आपको इस पोस्ट पर पीडीएफ देखने को मिलेगा। आप लोग डाउनलोड कर सकते हैं यदि पीडीएफ का पासवर्ड आपको नहीं मिल रहा है तो आप वीडियो को पूरा डिटेल से देखिए अंतिम तक देखिए ,ध्यान से देखिए तो आपको पासवर्ड मिल जाएगा फिर आप आसानी से डाउनलोड करके वीडियो को देखकर अपने शिक्षक डायरी में उतार सकते हैं।
साथियों इस आर्टिकल में मैं आपको कक्षा नवी के परिशिष्ट वन एवं कक्षा दसवीं के परिशिष्ट एक में क्या इंपोर्टेंट है क्या महत्वपूर्ण है उन बिंदुओं को विस्तार से समझाने का प्रयास किया है आपने पढ़कर अपने अध्यापन कार्य को बेहतर बना सकते हैं तो आइए शुरू करते हैं-
आइए सबसे पहले कक्षा दसवीं के बारे में चर्चा करेंगे-
कक्षा 10वी विषय -गणित परिशिष्ट -1
इस अध्याय में हम सबसे पहले इस बात पर पुनर्विचार करेंगे कि गणितीय कथन क्या होता है। इसके बाद हम अनेक उदाहरणों द्वारा निगमनिक तर्कण देने के कौशल को और अधिक सक्षम बनाने पर विचार करेंगे। यहाँ हम निषेध की संकल्पना और एक दिए हुए कथन का निषेध ज्ञात करने के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसके बाद हम इस बात की चर्चा करेंगे कि किसी दिए हुए कथन का विलोम ज्ञात करने का अर्थ क्या होता है। अंत में, हम अनेक प्रमेयों की उपपत्तियों का विश्लेषण करके कक्षा IX में पढी गई किसी उपपत्ति के अवयवों पर पुनर्विचार करेंगे। यहाँ हम विरोधोक्ति (अंतर्विरोध) द्वारा उपपत्ति की धारणा पर भी विचार करेंगे, जिसे आप कक्षा IX में सीख चुके हैं तथा इस पुस्तक के अनेक अन्य अध्यायों में भी प्रयोग कर चुके हैं।
गणितीय कथनों का पुनरीक्षण स्मरण कीजिए कि 'कथन' एक अर्थपूर्ण वाक्य होता है, जो न तो आदेश होता है, न विस्मयादिबोधक (exclamation) होता है और न ही प्रश्न होता है। उदाहरण के लिए 'वर्ल्ड कप के फाइनल में कौन-सी दो टीमें खेल रही हैं?' एक प्रश्न है, एक कथन नहीं है। 'जाइए और अपना गृहकार्य पूरा कीजिए', एक आदेश है, एक कथन नहीं है। 'क्या ही बढ़िया गोल है!' एक विस्मयादिबोधक है, एक कथन नहीं है। स्मरण रहे कि व्यापक रूप में वाक्य निम्नलिखित में से कोई एक हो सकता है:
• सत्य
• असत्य
• संदिग्ध
कक्षा IX में, आप यह भी पढ़ चुके हैं कि गणित में, कथन केवल तभी स्वीकार्य होता है जबकि वह या तो सत्य हो या असत्य हो। अतः संदिग्ध वाक्यों को गणितीय कथन नहीं माना जाता है।
आइए हम कुछ उदाहरण लेकर अपने ज्ञान को दोहरा लें।
उदाहरण 1 : बताइए कि निम्नलिखित वाक्य कथन है या नहीं है। अपने उत्तर का औचित्य भी बताइए।
(i) सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
(ii) वाहन के चार पहिए होते हैं।
(iii) प्रकाश की चाल लगभग 3 x 10s km/s है।
(iv) नवंबर से मार्च तक कोलकाता की सड़क बंद रहेगी।
(v) सभी मानव नश्वर होते हैं।
हल: (i) यह वाक्य असत्य है, क्योंकि खगोलविदों ने यह स्थापित कर दिया है कि पृथ्वी सूर्य
की परिक्रमा करती है। अतः यह एक कथन है। (ii) यह वाक्य संदिग्ध है, क्योंकि हम यह निर्णय नहीं कर सकते हैं कि यह सत्य है या
असत्य है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वाहन कौन-सा है, क्योंकि वाहन 2,
3, 4, 6, 10, आदि पहियों वाला हो सकता है। अतः यह एक कथन नहीं है। (iii) यह वाक्य सत्य है, जैसाकि भौतिकविदों में सत्यापित किया है। अतः यह एक कथन है। (iv) यह वाक्य संदिग्ध है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि यहाँ किस सडक के बारे में कहा
जा रहा है। अतः यह एक कथन नहीं है। (v) यह वाक्य सत्य है, क्योंकि प्रत्येक मानव को कभी न कभी मरना ही है। अतः यह
एक कथन है।
आगे अध्ययन करने से पहले आइए हम इस बात पर चर्चा करें कि विरोधोक्ति क्या है। गणित में विरोध तब होता है जबकि हमें एक ऐसा कथन p प्राप्त होता है किp सत्य होता है और इसका निषेध -p भी सत्य होता है। उदाहरण के लिए,
p: , जहाँ a और b असहभाज्य संख्याएँ हैं।
__q: संख्या 2
'a' और 'b' दोनों को विभाजित करती है।
यदि हम यह मान लें कि p सत्य है और हम यह भी दर्शा सकें कि 4 भी सत्य है, तो, हमें एक विरोधोक्ति प्राप्त होती है क्योंकि का यह तात्पर्य है किp का निषेध सत्य है। यदि आपको याद हो कि यही बात यथातथ्य तब घटी थी जब हम यह सिद्ध करने का प्रयास कर रहे थे कि अपरिमेय है (देखिए अध्याय 1)।
विरोधोक्ति द्वारा उपपत्ति किस प्रकार कार्य करती है? आइए एक विशिष्ट उदाहरण लेकर इस पर हम विचार करें। मान लीजिए निम्नलिखित दिया हुआ है:
सभी महिलाएँ नश्वर होती हैं। A एक महिला है। सिद्ध कीजिए कि महिला A नश्वर है।
यद्यपि यह एक सरल उदाहरण है, फिर भी आइए हम देखें कि विरोधोक्ति से इसे हम कैसे सिद्ध कर सकते हैं।
• आइए हम यह मान लें कि हम कथन p की सत्यता स्थापित करना चाहते हैं (यहाँ हम
यह दर्शाना चाहते हैं कि p: 'महिला A नश्वर है' सत्य है)
• अतः सबसे पहले हम यह मान लेते हैं कि कथन सत्य नहीं है अर्थात हम यह मान
लेते हैं कि p का निषेध सत्य है। (अर्थात् महिला A नश्वर नहीं है)।
• तब हम p के निषेध की सत्यता पर आधारित अनेक तर्कसंगत निगमन करते हैं।
पार्ट -2
अब हम यहां से
कक्षा 9वी विषय -गणित परिशिष्ट -1
के बारे में चर्चा करेंगे-
कथन से संबंधित जितने भी उदाहरण है एवं परिभाषा है उसे आप टैक्स बुक के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं इसलिए हम थोड़ा सा जो दूसरे महत्वपूर्ण टॉपिक है उस पर चर्चा करेंगे यहां पर-
प्रमेय, कंजेक्चर और भिगृहीत
अभी तक हमने कुछ कथनों पर चर्चा की है और देखा है कि इन कथनों की मान्यता की जाँच किस प्रकार की जाती है। इस अनुच्छेद में, आप उन तीन अलग-अलग प्रकार के कथनों में भेद करने के बारे में अध्ययन करेंगे जिनसे गणित का निर्माण हुआ है। ये हैं: प्रमेय, कंजेक्चर (conjecture) और अभिगृहीत।
आप पहले भी अनेक प्रमेयों को देख चुके हैं। अतः प्रमेय क्या है? उस गणितीय कथन को जिसकी सत्यता स्थापित (सिद्ध) कर दी गई है, प्रमेय (Theorem) कहा जाता है। उदाहरण के लिए, नीचे दिए गए कथन प्रमेय हैं, जैसा कि आप अनुच्छेद A1.5 में देखेंगे।
प्रमेय A 1.1 : एक त्रिभुज के अंत:कोण का योग 180° होता है।
प्रमेय A 1.2 : दो प्राकृत संख्याओं का गुणनफल सम होता है।
प्रमेय A1.3 : किन्हीं भी तीन क्रमागत सम प्राकृत संख्याओं का गुणनफल 16 से भाज्य होता है।
कंजेक्चर वह कथन है, जिसे हम अपने गणितीय ज्ञान और अनुभव अर्थात् गणितीय अंर्तज्ञान (intuition) के आधार पर सत्य मानते हैं। कंजेक्चर सत्य या असत्य हो सकता है। साथ ही, यदि हम इसे सिद्ध भी कर सकें, तो यह एक प्रमेय हो जाता है। प्रतिरूपों को देखने और बुद्धिमतापूर्ण गणितीय अनुमान लगाने के लिए, गणितज्ञ प्राय: कंजेक्चर का प्रयोग करते हैं। आइए हम कुछ प्रतिरूप लें और देखें कि हम किस प्रकार का बुद्धितापूर्ण अनुमान लगा सकते हैं।
उदाहरण 4: कोई भी तीन क्रमागत सम संख्याएँ लीजिए और उन्हें जोड़िए, जैसे2+4+6 = 12,4+6+8 = 18, 6 +8+ 10 = 24,8+10 + 12 = 30, 20 + 22 + 24 = 66 आदि। क्या आप इन योगफलों से किसी प्रतिरूप का अनुमान लगा सकते हैं? इनके बारे में आप क्या कजेक्चर दे सकते हैं?
हल : एक कंजेक्चर यह हो सकता है:
(i) तीन क्रमागत सम संख्याओं का योग सम होता है। अन्य कंजेक्चर यह हो सकता है:
(ii) तीन क्रमागत सम संख्याओं का योग 6 से विभाज्य होता है।
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अपन जो आपको अध्यापन कार्य में सहायता प्रदान करेगी-
1. गणित में कोई कथन तब स्वीकार्य होता है जबकि यह कथन सदैव सत्य हो या असत्य हो।
2. यह दर्शाने के लिए कि गणितीय कथन असत्य है एक प्रत्युदाहरण ज्ञात कर लेना ही पर्याप्त होता
3. अभिगृहीत वे कथन हैं जिन्हें उपपत्ति बिना सत्य मान लिया गया है।
4. एक कंजेक्चर वह कथन है जिसे हम अपने गणितीय अंतर्ज्ञान के आधार पर सत्य मान लेते हैं, परन्तु जिन्हें हमें अभी सिद्ध करना है।
5. उस गणितीय कथन को, जिसकी सत्यता स्थापित (या सिद्ध) कर दी गई है, प्रमेय कहा जाता है। 6. गणितीय कथनों को सिद्ध करने का एक मुख्य तार्किक साधन निगमनिक तर्कण है।
7. उपपत्ति गणितीय कथनों का एक उत्तरोत्तर अनुक्रम होती है। उपपत्ति का प्रत्येक कथन पहले से ज्ञात कथन से, या पहले सिद्ध किए गए प्रमेय से, या एक अभिगृहीत से, या परिकल्पनाओं से तार्किक रूप से निगमित किया जाता है।
